भारतीय वर्ष का सबसे सूंदर माह सावन लग चूका है, सावन भगवन शिव का प्रिय माह है, सावन माह में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त उपवास रखते है, रोज सवेरे उनका जलाभिषेक करते है, मंदिरो में भजन कीर्तन करते है और शिव जी को प्रसन्न करने का प्रयास करते है इसके साथ ही कुंवारी लड़किया भी 16 सोमवार का व्रत रखती है ताकि उनकी मनचाहे पति को प्राप्त करने की मनोकामना पूर्ण हो सके, भगवान शिव भी अपने भक्तों पर कृपा बनाये रखते है सावन माह में भगवान शिव के हर छोटे से लेकर बड़े मंदिर में भक्तो का ताँता लगा रहता है उनके हर मंदिर में भारी भीड़ देखने को मिलती है, मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव के कुछ ऐसे प्राचीन मंदिर है जिनका इतिहास बहुत पुराण है और ये मंदिर अपने आप में अपना एक अलग ही महत्व रखते है, आज हम आपको ऐसे ही 5 मंदिरो के बारे में बतायेगे जहाँ भक्तो की हर मुराद अवश्य पूरी होती है |
अमरनाथ मंदिर, जम्मू कश्मीर
बाबा अमरनाथ का मंदिर जम्मू कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में स्थित है, अमरनाथ मंदिर 18 महाशक्ति पीठो में से एक है, बाबा अमरनाथ का मंदिर बर्फीली गुफा में बना है हर साल इस गुफा को बहुत कम समय के लिए भक्तो के लिए खोला जाता है, कहा जाता है की इस मंदिर में खुद शिव जी विराजमान है इस तीर्थ स्थल की यात्रा कर लेने मात्र से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है |
सोमनाथ मंदिर, गुजरात
भगवान शिव का सोमनाथ मंदिर गुजरात गुजरात के पश्चिमी तट पर स्थित है ये मंदिर शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहला मंदिर है सोमनाथ मंदिर पर लोग अपने पूर्वजो के श्राद्ध करने के लिए भी आते है यह मंदिर साथ ही यह तीन महान नदिओं का संगम भी देखने को मिलता है जिसमे सरस्वती, हिरन और कपिला नदियों का पानी एक साथ आकर मिलता है जिसे त्रिवेणी के नाम से जाना जाता है |
वैद्यनाथ मंदिर, झारखण्ड
भोलेनाथ का यह मंदिर झारखण्ड के देवगढ़ में बना हुआ है, शिव जी का यह मंदिर भी 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, इस मंदिर को बहुत ही पवित्र मन जाता है, सावन माह में इस मंदिर में भगवा वस्त्र धारण किये भक्तो की भारी भीड़ देखने को मिलती है साथ ही यह मंदिर इसलिए भी अलग है क्यूंकि इस मंदिर के शिखर पर त्रिशूल के स्थान पर पंचशील स्थापित किया गया है |
केदारनाथ मंदिर,उत्तराखंड
भगवान शिव का केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड में मन्दाकिनी नदी के किनारे बना है ऐसा माना जाता है की महाभारत के युद्ध के बाद जब पांडव अपने द्वारा लोगो को मरने के पाप की क्षमा मांगने शिव जी के पास केदारनाथ की गुफा में गए तो शिव जी उनसे नाराज थे वे उन्हें क्षमा नहीं करना चाहते थे इसलिए शिव जी वह मौजूद बैलो के झुण्ड में बैल का रूप धारण कर के वहा से जाने लगे तो पांडवो ने उन्हें पहचान लिया और उनसे क्षमा मांगी और तभी से वह शिव जी बैल की पीठ की आकृति के रूप मे विराजमान है |
काशी विश्वनाथ, उत्तरप्रदेश
उत्तरप्रदेश के काशी में बना काशी विश्वनाथ मंदिर अपने आप में दिव्या आस्था का प्रतिक है यही कारण है की यह हर समय भक्तो की भीड़ लगी रहती है, सच्चे मन से यहां आने वाले भक्तों को अपने पाप से अवश्य मुक्ति मिलती है |